IND vs PAK मुकाबले के बाद हैंडशेक विवाद: पूरा हाल

IND vs PAK मुकाबले के बाद हैंडशेक विवाद: पूरा हाल

भारत और पाकिस्तान के बीच एशिया कप 2025 में हुए मुकाबले के बाद एक बड़े चर्चा का विषय बना “हैंडशेक नहीं करना”। कई दर्शकों ने पूछा कि भारतीय खिलाड़ियों ने मैच खत्म होने पर पाकिस्तानी खिलाड़ियों से हाथ क्यों नहीं मिलाया। टीम इंडिया के कोच गौतम गंभीर ने इस बारे में साफ जवाब दिया है। आइए जानें पूरी कहानी।

भारत-पाक मुकाबला और हालात

भारत ने पाकिस्तान को 7 विकेट से हराया।कप्तानी शुभ्ररूप से सूर्यकुमार यादव ने की।लक्ष्य का पीछा करते हुए सूर्यकुमार यादव ने नाबाद 47 रन बनाए।लेकिन मुकाबले जैसा क्रिकेट की दृष्टि से शानदार रहा, वैसा ही मुकाबले के बाद व्यवहार को लेकर विवाद उठा।

 

क्या-क्या हुआ: हैंडशेक विवाद से लेकर बॉयकॉट तक

1. टॉस के समय हाथ नहीं मिला
टॉस के समय भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव ने पाकिस्तान के कप्तान सलमान अली आगा से हाथ नहीं मिलाया।

2. मैच खत्म होने पर कोई हैंडशेक नहीं
जीत के बाद भारतीय खिलाड़ी सीधे ड्रेसिंग रूम की तरफ चले गए, कुछ खिलाड़ी जैसे सूर्यकुमार और शिवम दुबे मैदान पर नहीं रुके। पाकिस्तानी खिलाड़ी हैंडशेक के लिए बाहर इंतजार करते रहे।

3. ड्रेसिंग रूम का दरवाज़ा बंद
जैसे ही भारतीय टीम ने अपना काम पूरा किया, ड्रेसिंग रूम का दरवाज़ा बंद कर लिया गया।

4. पाकिस्तान की टीम की प्रतिक्रिया
पाकिस्तानी टीम के हेड कोच माइक हेसन ने कहा कि हमारी टीम हैंडशेक के लिए तैयार थी, मगर भारतीय टीम ने दरवाजा बंद कर लिया।
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने भी “खेल भावना के विपरीत” होने का आरोप लगाया।

 

गौतम गंभीर ने क्या कहा – सीधा जवाब

टीम इंडिया के कोच गौतम गंभीर ने इस सारी स्थिति पर ऐसा जवाब दिया है:

उन्होंने कहा कि “हम पहलगाम हमले के पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ एकजुटता दिखाना चाहते थे।”

गंभीर ने यह भी बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों ने जो कार्य किए हैं, उनके प्रति आभार व्यक्त करना उनका रवैया है।

उनका ये स्टैंड इस पूर्वक सामना कर रहा था कि देश में इस तरह की परिस्थितियाँ हों, जहां संवेदनशीलता ज़्यादा हो – खेल से ऊपर भावनाएँ हों।

क्यों हुआ ऐसा? कुछ वजहें

पहलागाम हमला: अप्रैल में पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस घटना के बाद भारतीयों में पाकिस्तान से जुड़ी संवेदनाएँ और बढ़ गयीं।

ऑपरेशन सिंदूर: भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा की गई कार्रवाइयाँ, इस माहौल को और तीखा बना रही हैं। खिलाड़ियों ने ये स्पष्ट किया है कि वो इस तरह के हालात में ऐसे जिम्मेदारी से काम करना चाहते हैं कि देश की भावनाएँ आहत न हों।

खेल के बाहर का दबाव: दर्शक, मीडिया, राजनीतिक व सामाजिक आयोजनों से भारी दबाव रहता है जब भारत-पाकिस्तान जैसे देशों का मुकाबला हो। ऐसे में खिलाड़ियों को अक्सर संतुलन बनाना पड़ता है।

 

 

क्या यह सही है? खेल के नजरिए से सवाल

इस फैसले पर कुछ लोग कहते हैं कि खेल तो खेल है, हाथ मिलाना तो खेल भावना का हिस्सा है। लेकिन कुछ का कहना है कि मानवीय संवेदनाएँ, राष्ट्रीय गर्व और सैनिकों के बलिद को सम्मान देना भी ज़रूरी है, और ऐसे समय पर कुछ ऐक्ट्स (जैसे हाथ नहीं मिलाना) एक सशक्त संदेश हो सकते हैं।

हालांकि, इस फैसले को लेकर आलोचना और विरोध दोनों ही हो रहे हैं। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने शिकायत दर्ज की है।

निष्कर्ष

भारत-पाकिस्तान जैसे मुकाबले सिर्फ क्रिकेट नहीं होते; ये भावनाओं, इतिहास, राष्ट्रीय भावना और राजनीति से भी जुड़े होते हैं। इस बार, टीम इंडिया ने हैण्डशेक न करके एक राजनीतिक / सामाजिक संदेश देना चुना है। कोच गौतम गंभीर ने स्पष्ट कर दिया है कि यह फैसला भावनात्मक एकजुटता और सैनिकों के सम्मान के चलते लिया गया।

खेल से सिर्फ जीत-हार नहीं होती, कभी-कभी ये बड़े मायने रखते हैं कि जीत के बाद आप कैसी छवि छोड़ते हो, किस तरह का संदेश देते हो। भारत की टीम ने इस बार स्पष्ट संदेश भेजा है।

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