7–8 सितंबर 2025 का पूर्ण चंद्रग्रहण :-
यह साल 2025 का सबसे खास खगोलीय नज़ारा है – 7 और 8 सितंबर की रात को लगने वाला पूर्ण चंद्रग्रहण। इसे “रक्त चंद्र” भी कहा जा रहा है क्योंकि ग्रहण के दौरान चंद्रमा लालिमा लिए हुए नज़र आएगा।
क्यों है यह खास सितंबर 2025 का पूर्ण चंद्रग्रहण?
यह 2022 के बाद का सबसे लंबा पूर्ण चंद्रग्रहण होगा। इसका पूरा दृश्य ऑस्ट्रेलिया, एशिया, अफ्रीका और यूरोप से देखा जा सकेगा। यानी लगभग 85% विश्व की आबादी को इसे अपनी आँखों से देखने का मौका मिलेगा।
भारत के लोग भी इसे देख पाएंगे, खासकर लखनऊ और पूरे उत्तर भारत में यह ग्रहण साफ दिखाई देगा, यदि मौसम खुला रहा।
जब आसमान लाल हो जाएगा – सितम्बर 2025 का पूर्ण चंद्रग्रहण –
सोचिए… रात का समय है, आसमान साफ़ है और अचानक चाँद धीरे-धीरे अपना रूप बदलने लगता है। सफ़ेद-चमकदार चाँद पहले हल्का धुंधला होता है, फिर उस पर धरती की छाया उतरती है और कुछ ही देर बाद वही चाँद गहरे लाल रंग में बदल जाता है। यही पल कहलाता है – पूर्ण चंद्रग्रहण या ब्लड मून।
कहाँ दिखाई देगा यह नज़ारा?
इस बार का सितंबर 2025 का पूर्ण चंद्रग्रहण बेहद खास है क्योंकि यह दुनिया के बड़े हिस्से से देखा जाएगा।
यूरोप, एशिया, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका के कुछ हिस्सों और दक्षिण अमेरिका के कुछ इलाकों में लोग इसे देख पाएंगे।
सबसे अच्छी बात – भारत में यह ग्रहण पूरे का पूरा साफ़-साफ़ दिखाई देगा। यानी आप कहीं भी हों, अगर आसमान में बादल न हों, तो यह खगोलीय दृश्य ज़रूर देख पाएंगे।
कब-कब बदलता नज़र आएगा चाँद?
भारत में लोग इस ग्रहण का हर पल देख पाएंगे। समय इस तरह रहेगा:
पेनुम्ब्रल (हल्की छाया) शुरू: 7 सितम्बर, रात 8:58 बजे
आंशिक ग्रहण शुरू: 7 सितम्बर, रात 9:57 बजे
पूर्ण ग्रहण शुरू: 7 सितम्बर, रात 11:00 बजे
सबसे गहरा पल: 7 सितम्बर, रात 11:41 बजे
पूर्ण ग्रहण खत्म: 8 सितम्बर, रात 12:22 बजे
आंशिक ग्रहण खत्म: 8 सितम्बर, रात 1:26 बजे
पेनुम्ब्रल समाप्त: 8 सितम्बर, रात 2:25 बजे
लखनऊ ही नहीं, भारत के हर कोने से यह नज़ारा दिखेगा। बस आपको चाहिए साफ़ आसमान और थोड़ी-सी धैर्य।
कितनी देर चलेगा ग्रहण?
कुल अवधि – 5 घंटे 27 मिनट
पूर्ण ग्रहण – 1 घंटा 22 मिनट
आंशिक ग्रहण – 2 घंटे 7 मिनट
पेनुम्ब्रल ग्रहण – 1 घंटा 57 मिनट
इसका मतलब है कि आपके पास चाँद को धीरे-धीरे बदलते देखने के लिए भरपूर समय होगा।
विज्ञान क्या कहता है?
इस बार चाँद का व्यास पूरी तरह पृथ्वी की गहरी छाया से ढक जाएगा।
वैज्ञानिक भाषा में कहें तो – परिमाण (Magnitude) 1.362, यानी चाँद पूरा-का-पूरा अंधेरे में होगा।
आवरण 100% होगा, यानी कोई हिस्सा बचा नहीं रहेगा।
साथ ही पेनुम्ब्रल परिमाण 2.344 का मतलब है कि हल्की छाया भी चाँद के बड़े हिस्से को ढक लेगी।
कितने लोग देख पाएंगे यह सितंबर 2025 का पूर्ण चंद्रग्रहण ?
धरती के करोड़ों लोग इस ग्रहण को देखेंगे। भारत, एशिया और यूरोप में तो यह सबसे ज्यादा साफ़ दिखाई देगा। आपको टेलीस्कोप की ज़रूरत नहीं – नंगी आँखों से ही यह खूबसूरत “लाल चाँद” आपका दिल जीत लेगा।
क्यों खास है यह मौका?
चंद्रग्रहण हर बार इतना स्पष्ट और लंबे समय तक नहीं दिखता। यह वो खगोलीय घटना है जिसे देखने के लिए लोग बेसब्री से इंतज़ार करते हैं। कल्पना कीजिए – आप अपनी छत पर या खुले मैदान में खड़े हैं, और ऊपर आसमान में चाँद धीरे-धीरे लाल होता जा रहा है। यह पल जीवनभर याद रह जाएगा।
कम से कम आंशिक छाया देखने वाले लोग – 7.19 अरब (दुनिया की 87.7% आबादी)
आंशिक ग्रहण देखने वाले लोग – 7.09 अरब (86.6%)
पूर्ण ग्रहण देखने वाले लोग – 7.03 अरब (85.8%)
पूरा पूर्ण ग्रहण शुरू से अंत तक देखने वाले लोग – 6.27 अरब (76.5%)
पूरा ग्रहण (पूर्ण + आंशिक) देखने वाले लोग – 5.82 अरब (71.0%)
शुरू से अंत तक पूरा ग्रहण देखने वाले लोग – 4.9 अरब (59.9%)
रोचक तथ्य:-
ग्रहण कभी अकेला नहीं आता!
जब भी चंद्रग्रहण होता है, उसके पहले या बाद में लगभग दो हफ्ते के भीतर सूर्यग्रहण जरूर होता है। कई बार एक ही “ग्रहण ऋतु” में दो की बजाय तीन ग्रहण भी देखने को मिलते हैं।
भारत के लिए कितना खास?
भारतवासियों के लिए यह रात बहुत खास होने वाली है। ज्योतिष की दृष्टि से चंद्रग्रहण का महत्व अलग होता है, लेकिन खगोलशास्त्र के शौकीनों और आम जनता के लिए यह एक अद्भुत अनुभव होगा। चंद्रमा को धीरे-धीरे लाल होते देखना बच्चों और बड़ों – सभी के लिए रोमांचक होगा।
निष्कर्ष
7–8 सितंबर 2025 की रात का यह सितंबर 2025 का पूर्ण चंद्रग्रहण , 2025 की सबसे बड़ी खगोलीय घटना होगी।
भारत समेत दुनिया की 85% से अधिक आबादी इसे देख पाएगी। अगर आसमान साफ रहा तो आप भी अपने घर की छत या खुले मैदान से इस अद्भुत “रक्त चंद्र” का आनंद ले सकते हैं।